पानी में डूब जाने वाले आदमी का इलाज कैसे करे । How to treatment of drowing person in hindi

              पानी में डूब जाना (Drowning)


 रोग परिचय, कारण व लक्षण



पानी में डूबने की स्थिति कभी-कभी दुर्घटना वश, कभी आत्महत्या

 के इरादे अथवा कत्ल (मर्डर) के षडयन्त्र के असफल प्रयासों के 

कारण होती है। जब कोई पानी में डूबता है तो इसकी सर्वप्रथम समस्या 'दम घुटना' है जो पानी के भीतर सांस के रास्ते बन्द हो 

जाने तथा पर्याप्त ऑक्सीजन न मिलने के कारण होती है।

 इसके अतिरिक्त कुछ जैविक रासायनिकपरिवर्तन भी होते हैं

 जिनके कारण रोगी की दशा गम्भीर हो जाती है यहाँ तक कि मृत्यु

 तक हो जाती है। चिकित्सकों को विशेषकर 

ग्रामीणाञ्चलों में इस प्रकार के रोगी अधिक देखने में आते हैं। 

किसी नदी तालाब या कुएं में गिर जाने से तथा तैरना न जानने से

 सांस लेने के प्रयत्न के साथ पानी श्वसन मार्ग द्वारा फेफड़ों में 

पहुंचकर उनको अवरूद्ध कर देता है, साथ ही मुँह खेलने से भी 

मुख द्वारा भी पानी अन्दर (फेफड़ों व पेट में) चला जाता है। यदि

 व्यक्ति समुद्र के पानी में डूबता है तो उसमें कैल्शियम व

 मैग्नीशियम आयन के अवशोषण से हृदय गति बंद हो जाती है। 

ताजे पानी में डूबने से 'हीमोलाइसिस' होकर हाइपर कैलेमिया और

 वेंट्रिकुलर फिब्रिलेशन होता है।



डूबने से मृत्यु का कारण 


• अधिकांशता डूबने वाले व्यक्ति/रोगी की मृत्यु श्वासावरोध से ही 

होती, क्योंकि श्वास लेने की चेष्टा में पानी नाक और मुख के रास्ते

 से भीतर भरता ही जाता है। पानी जितना भी भरता जाता है 

उतना ही शीघ्र श्वासावरोध होकर मृत्यु हो जाती है।

 • खेल-खेल में अथवा कुछ व्यक्तियों की पानी में दूर से कूदने की 

आदत अथवा कुंयें में गिर पड़ने से सिर में चोट लगकर मृत्यु हो जाती है।


लक्षण (Symptoms) 

पानी में डूबने का इतिहास पता करें। मस्तिष्क में आक्सीजन की 

कमी हो सकती है। रोगी को बेहोशी आने लगती है। समुद्र के पानी

 में डूबने से नमकीन जल भीतर पहुंचकर रक्त को लवण द्रव में 

परिवर्तित कर देता है । जो श्वासावरोध तथा मृत्यु का कारण बनता 

है। समुद्र के पानी में डूबने से रक्तचाप कम हो जाता है। व्यक्ति की

 सांस फूलने लगती है। हृदय में अवरोध होकर रोगी की मृत्यु हो जाती है।



           आवश्यक दिशा-निर्देश सहित


. डूबने वाले आदमी को जल्द से जल्द पानी में से निकालें। रोगी के

 सांस लेने के मार्ग को साफ करें।


•रोगी को पेट के बल लिटाकर, पीछे से दबायें ताकि रोगी के पेट व

 फेफड़ों में जमा पानी निकल सके।


•तदुपरान्त रोगी को पीठ के बल जमीन पर सीधा लिटा कर कृत्रिम

 श्वसन आरम्भ कर दें।


• रोगी को


आक्सीजन देने की व्यवस्था करें।


• यदि रोगी के पेट में पानी अधिक मात्रा में चला गया है तो रबर की

 नालिया डालकर उसे सावधानी पूर्वक बाहर निकालें वरना यह

 सांस की नली में चला जाता है।


•रोगी की छाती के ऊपर तथा हाथ-पैर की मालिश करके रक्त 

सञ्चार बनायें रखें।


 • जब रोगी की दशा में कुछ सुधार हो जाये तब तरल और 

इलैक्ट्रोलाइट के सन्तुलन को ठीक रखने की व्यवस्था करें। 7.5%

 का सोडाबाईकार्वन का घोल दें।


• रक्त के आयतन की कमी होने पर शिरान्तर्गत (I/V) डेक्स्ट्रान-70

 (Dextran-70) निर्माता-रैलीज देकर ठीक करें।


• यदि रोगी को ब्रोन्को स्पाज्म हो तो-इंजेक्शन एमिनोफिलिन 

(Aminophenyl line) निर्माता बरोज बेलकम 0.25 ग्राम 

शिरान्तर्गत (I/V) दें ।


•शिरान्तर्गत (I/V) ड्रिप, रींगर लेवटेट सोल्यूशन तथा डेक्सट्रोज सेलाइन दें।

 •ब्लड ट्रान्सफ्यूजन की आवश्यकता हो सकती है।



• फेफड़ों (फुफ्फुस) में पानी एकत्र होने पर इंजेक्शन लेसिक्स 

(Lasix) निर्माता सनोफी एवेनटिस 1-2 एप्पल तक 

आवश्यकतानुसार शिरान्तर्गत (I/V) दें।


• फेफड़ों में पानी चले जाने से इन्फेक्शन के आसार होते हैं। 

इसलिए बचाब के लिए ब्रांड स्पेक्ट्रम एंटीबायोटिक (यथा-

टेट्रासाइक्लिन, एम्पीसिलीन, मैगापेन, 250 आदि निमोनिया को

 ध्यान में रखते हुए दें।

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