बिजली का झटका लग जाना । ( Electric current/Electrical Injuries) । How to treatment of Electrical Injuries in hindi

                 बिजली का झटका लग जाना   

        ( Electric current/Electrical Injuries) 



रोग परिचय, कारण व लक्षण


वर्तमान समय में बिजली का उपयोग दिन प्रतिदिन घरों में काम 

आने वाली चीजों,उद्योगों, मेडिकल एवं अन्य समस्त क्षेत्रों में

 निरन्तर बढ़ता ही जा रहा है। बिजली का झटका प्राय: दुर्घटनावश

 अथवा आत्महत्या के प्रयास के फलस्वरूप लगता है। बिजलीघरों

 में काम करने वालों में ऐसे अचानक बिजली द्वारा यात्रा होने आदि

 कई बातों का ध्यान रखकर अभिघात का अनुमान लगाया जाता

 है, यथा हाई वोल्टेज, करन्ट का इसका समय बिजली लगने के 

मार्ग जहाँ से संपर्क हुआ हो। बिजली के खुले तारों से शरीर के 

किसी अंग का स्पर्श होने पर बिजली का करन्ट लगता है, क्योंकि 

खुले/नंगे तार और जमीन के बीच शरीर सुचालक (Good

 Conductor) का काम करता है। 




विद्युत अपघात सम्बन्धी कारण


 • इलेक्ट्रिक शॉक द्वारा।


• थर्मल चोट से हानि प्रायः करन्ट का प्रकार, उसकी फ्रीक्वेन्सी

 वोल्टेज, कितने क्षेत्र में स्पर्श हुआ है तथा व्यक्ति/रोगी की 

प्रतिरोधक क्षमता (इम्युनिटी) पर निर्भर करता है।


लक्षण

करन्ट से मांसपेशियों में संकुचन होने के कारण वह व्यक्ति को दूर फेंक देता है, 

जिससे वह दूर जाकर गिरता है और उसे चोट लग जाती है।

 • कुछ दिनों के बाद


जलने से गहराई में स्थित ऊतकों में नेक्रोसिस हो जाता है।


•शरीर में करंट लगने से रक्त वाहिनियों में रक्त का जमाव ।


•विभिन्न ऊतकों और अंगों को रक्त पूर्ति बन्द। 


• मस्तिष्क और स्नायु तंत्र में आयात के कारण पोली न्यूराइटिस,

 मेरु रज्जा में आयात तथा मस्तिष्क में प्रभाव होने से पक्षाघात हो 

सकता है।


• यदि सिर व गले पर करन्ट लगा है तो मोतियाबिन्द हो सकता है।


• श्वसन क्रिया में रुकावट।


• हृदयगति बन्द हो सकती है।


• कभी-कभी तत्काल मृत्यु भी संभव।


• कभी-कभी बेहोशी के साथ पक्षाघात।


• हल्के-फुल्के शॉक में बेचैनी और घबराहट।


• यदि 350 वोल्ट से ऊपर के बिजली की शक्ति से व्यक्ति प्रभावित

 हुआ हो तो कभी-कभी तत्काल ही मृत्यु। सर्वाधिक हानि जहाँ से 

बिजली स्पर्श हो नाड़ियों का अभिघात (जल जाने) से होता है।

 स्पर्श और निकास के दोनों अंश दग्ध हो जाते हैं। कभी सीधी

 पेशियों पर प्रभाव पड़ता है।


डी०सी० करन्ट से ए०सी० करन्ट का प्रभाव अधिक होता है।

 डी०सी० से झटके लगते हैं और ए०सी० से व्यक्ति/रोगी चिपक 

जाता है तथा विद्युत न छोड़ने तक प्रभावित करती है। पावर शॉक 

अधिक शक्तिशाली होता है। यदि रोगी/व्यक्ति बच जाता है तो वह 

विचित्र दशा में मिलता है।


            


                  बिजली का झटका लग जाना

                       (Electric Current)

                       आपातकालीन व्यवस्था


व्यक्ति को करंट वाले स्थान से तुरन्त हटायें। इसके लिए खुद

 उसको कदापि स्पर्श न करें वरना-करण्ट लग सकता है। उसे 

किसी सूख लकड़ी से छुड़ायें। तार के स्विच को बन्द कर दें।


• रोगी को होश में लाने के लिए उसे कृत्रिम सांस दें और हृदय की

 मालिश करें। 

• अस्पताल पर सर्वप्रथम विद्युत स्तब्धता की चिकित्सा करनी चाहिए।


• जले हुए स्थानों की मरहम पट्टी।



 सहायक चिकित्सा


आई०वी० फ्लूइड।


• स्तब्धता की चिकित्सा (Treatmemt of Shock) ।


•जले हुए भाग की मरहम-पट्टी करें। 


• इन्फेक्शन से बचाव हेतु उचित एण्टीबायोटिक दें।


• रीनल फेल्योर में हीमोडायलीसिस।



बचाव (Preventions)


बिजली के उपकरणों की सुरक्षात्मक जाँच।


• फ्यूज अच्छी तरह से लगायें।


•बिजली का काम करने के दौरान


रबर के दस्ताने पहनें।


•पैरों में रबड़ की चप्पल पहनें।


• गीले स्थान पर अथवा गीले कपड़ों में, नंगे पैर अथवा जूता-

चप्पल के सोल में यदि कीले लगी हुई हैं तो बिजली का कोई भी

 कार्य न करें।


• सदैव उच्च कोटि के उपकरणों का ही प्रयोग करें।

टिप्पणियाँ

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

Cause of heart attack in hindi हार्ट अटैक का कारण क्या है

पुरुषों के गुप्त रोग | स्वप्न दोष (Night Discharge)|swapandosh ke karan