खाज खुजली से तुरंत छुटकारा कैसे पाये
खाज - खुजली
नोट - पहले कारण व लक्षण बताया गया और नीचे में औषधि बताया गया है।
यह एच माईट ( किलनी ) यानि ' सारकोप्टीज स्केबियाई ' के द्वारा उत्पन्न त्वचा का एक सन्सर्गी रोग है । मादा त्वचा के नीचे बिल बनाकर समय - समय पर अण्डे एकत्रित करती रहती है , जिससे रोगी को खुजली के साथ - साथ उस स्थान पर चकत्ते पड़ जाते हैं । पैर व हाथों की अंगुलियों के मध्य की त्वचा , बगलें और जोड़ों के स्थान ( जहाँ त्वचा ढीलो होती है । ) अधिक प्रभावित होते हैं । यह रोग ' चेहरे ' पर कभी नहीं होता है ।
रोग के मुख्य कारण
• ' सारकोप्टस स्केवी ' नामक जीवाणु मुख्य कारण है । अन्य सहायक कारण
• वृद्धावस्था के पविर्तन । बच्चे जो गन्दगी में खेलते हैं ।
• सफाई ठीक ढंग न रखने वालों में ।
• एक रोगी जिसे यह रोग हो रहा हो उसके साथ सम्पर्क में आने से तथा उन कपड़ों को प्रयोग लाने से यह रोग अन्य / दूसरे स्वस्थ व्यक्ति को भी हो जाता है ।
• यह रोग ग्रीष्म ऋतु में पसीना जमा होने पर अधिक पाया जाता है । • एलर्जी उत्पन्न करने वाली औषधियों के प्रयोग से । मानसिक रोगों के परिणामस्वरूप ।
• रक्तदोष तथा कैन्सर से । यकृत व वृक्क ( गुर्दे ) की गड़बड़ी से । मधुमेह रोग की जटिलावस्था अथवा मधुमेह रोग में रक्तशर्करा की अत्याधिक वृद्धि । निरन्तर कब्ज रहने से । तेल , मिर्च , चाय , इमली , अचार तथा मसाले अधिक खाने से ।
• अजीर्ण / बदहजमी तथा पाचन - विकार ।
• स्त्रियों में मासिक धर्म की अनियमितता ।
• गुप्तांगों की नियमित साफ - सफाई के प्रति लापरवाही । चूंकि यह रोग एक रोगी व्यक्ति के सम्पर्क में आने से दूसरे स्वस्थ लोगों में पहुंच जाता है । यही कारण है कि परिवार में एक व्यक्ति को खुजली का रोग हो तो यह अन्य पारिवारिक सदस्यों को भी हो जाता है ।
• रोगी को अत्यन्त तीव्र खुजली होती है । खुजली रात के समय अधिक होती है तथा द्वितीयक संक्रमण से पायोडर्मा बनकर दर्द होता है । खुजली के कारण रोगी रात में सो नहीं पाता है ।
• इसका संक्रमण काल तीन सप्ताह का होता है ।
• रोग के स्पष्ट लक्षण हाथ - पैर की अंगुलियों के मध्य की त्वचा पर दिखाई देते हैं ।
• खुजली के कीटाणु त्वचा के भीतर एक गड्ढा सा बना लेते हैं , जो उठा हुआ , भूरे रंग का टेढ़ा - मेढ़ा अथवा छोटी - छोटी रेखाओं ( डाटेड लाइन ) की तरह का त्वचा में होता है ।
• यह अंगुलियों के मध्य में निप्पल के चारो - ओर तथा जननेन्द्रियों पर अधिक होते हैं ।
• अधिक खुजलाने पर वहाँ पर घाव होकर संक्रमण से मवाद
( Pus ) बन जाती है ।खुजली नीचे लिखे दो प्रकार की होती है
1. सूखी खुजली ।
2. गीली / आर्द्र या तर खुजली ।
1. सूखी खुजली - इसमें स्राव तथा फुन्सियाँ नजर नहीं आती हैं ।
2. गीली खुजली - इसमें फुन्सियाँ अधिक होती हैं अथवा नहीं भी होती हैं । आयुर्वेदीय चिकित्सा विज्ञान के मतानुसार ' सुश्रुता ' में स्फिक प्रदेश और हाथ - पैर की अगुलियों के गी की मृदु त्वचा पर होने वाले स्फोटो को 'कच्छू ' कहा जाता है ।
खाज - खुजली की औषधि
•सम्पूर्ण पारिवारिक सदस्यों को चिकित्सा एक साथ करें ।
• रोगी के शरीर और कपड़ों को साफ - स्वच्छ रखना आवश्यक है । • सभी के पहनने के कपड़े , तौलिया , बनियान , अण्डर वियर , बिछौने आदि को अच्छी प्रकार साबुन के उबलते पानी में डुबो - भिगोकर , धोकर , सुखाकर ही पहनें । कपड़े को बार - बार बदलना चाहिए । कपड़ों पर इस्तरी ( प्रेस ) होना भी आवश्यक है ।
• खुजली अधिक होने पर एण्टी एलर्जिक टेबलेट ( यथा - एविल 25 मिग्रा ० Avi1-25 ) निर्माता - हवैस्ट / सनोफी ) 11-1 गोली दिन में 2-3 बार , 3 दिनों तक दें ।
• यदि द्वितीयक संक्रमण ( सैकेण्डरी इन्फैक्शन ) हो तो उचित एण्टीबायोटिक औषधि दे |
शरीर ( आक्रान्त स्थान ) पर लगाने वाली नीचे लिखी मुख्य चार औषधियाँ हैं जो विभिन्न पेटेण्ट व्यवसायिक नामों से बाजार में उपलब्ध हैं
1. बैजाइल बेन्जोइट
( Benzyle Benzoate ) ।2. क्रोटामीटान ( Crotamiton ) |
3. गामाबैन्जीन ( Gamma Benzene ) ।
4. परमेथ्रिन ( Permethrin ) । लगाने की विधि / तरीका
• अच्छी प्रकार स्नान करने के उपरान्त , शरीर सुखाकर उपरोक्त औषधियों में सें किसी एक को गले के नीचे तथा सम्पूर्ण शरीर पर लगायें , मुख्यतः बगलों , अंगुलियों तथा जंघाओं के मध्य में लगायें ।
• रोगी को स्नान करने के लिए कोई कार्बोलिक
सोप या नीम का साबुन अथवा नौकोसोप ( निर्माता - पी ० डी ० या टेटमोसोल सोप ( निर्माता - मे एण्ड बेकर ) अथवा डेटोल सोप प्रयोग करायें । )• उपरोक्त औषधि 2 से 3 दिन तक लगानी चाहिए । एक सप्ताह के बाद यह कोर्स दुबारा करें । बैंजाइल बेन्जोएट यह स्थानीय कवक नाशक और परजीवी नाशक ( लोकल एण्टीफंगल एण्ड एण्टी पैरासिटिक ) है जिसका उपयोग खाज - खुजली तथा जुंऐ / लीखों से होने वाला रोग पैडीकुलोसिस
( Pedi Culosis ) में किया जाता है । यह औषधि आयन्टमेन्ट तथा लोशन के रूप में विभिन्न पेटेण्ट व्यवसायिक नामों से बाजार में उपलब्ध है । मात्रा / विधि - नहाने के बाद गर्दन से नीचे सम्पूर्ण शरीर पर 12 घण्टे के अन्तराल से 3 बार लगायें , फिर साबुन से साफ करें अथवा नहाकर औषधि 1 बार लगायें , फिर सात दिन बाद पुनः लगायें ।सावधानी - औषधि को केवल गर्दन से नीचे के भाग में लगायें । कुछ प्रमुख पेटेण्ट व्यवसायिक उत्पादन
एकेबिनडोन ( Acabindon ) निर्माता - इण्डोन ।
• डर्मिन ( Dermin ) निर्माता - बेलफार्मा ।
• बेन्जिल बेन्जोएट ( Benzy | Benzoate ) निर्माता - अग्रवाल ।
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