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पानी में डूब जाने वाले आदमी का इलाज कैसे करे । How to treatment of drowing person in hindi

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              पानी में डूब जाना (Drowning)   रोग परिचय, कारण व लक्षण पानी में डूबने की स्थिति कभी-कभी दुर्घटना वश, कभी आत्महत्या  के इरादे अथवा कत्ल (मर्डर) के षडयन्त्र के असफल प्रयासों के  कारण होती है। जब कोई पानी में डूबता है तो इसकी सर्वप्रथम समस्या 'दम घुटना' है जो पानी के भीतर सांस के रास्ते बन्द हो  जाने तथा पर्याप्त ऑक्सीजन न मिलने के कारण होती है।  इसके अतिरिक्त कुछ जैविक रासायनिकपरिवर्तन भी होते हैं  जिनके कारण रोगी की दशा गम्भीर हो जाती है यहाँ तक कि मृत्यु  तक हो जाती है। चिकित्सकों को विशेषकर  ग्रामीणाञ्चलों में इस प्रकार के रोगी अधिक देखने में आते हैं।  किसी नदी तालाब या कुएं में गिर जाने से तथा तैरना न जानने से  सांस लेने के प्रयत्न के साथ पानी श्वसन मार्ग द्वारा फेफड़ों में  पहुंचकर उनको अवरूद्ध कर देता है, साथ ही मुँह खेलने से भी  मुख द्वारा भी पानी अन्दर (फेफड़ों व पेट में) चला जाता है। यदि  व्यक्ति समुद्र के पानी में डूबता है तो उसमें कैल्शियम व  मैग्नीशियम आयन के अवशोषण से हृदय गति बंद हो जाती है।  ताजे पानी में डूबने से 'हीमोलाइसिस' होकर हाइपर कैलेम

Cause of heart attack in hindi हार्ट अटैक का कारण क्या है

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            हार्ट अटैक    दिल का दौरा  - Acute Myocardial Infraction हार्ट अटैक का कारण क्या है यह एक ऐसी अवस्था/स्थिति है जिसमें स्टर्नम के पीछे रोगी की  छाती में बहुत तेज दर्द उठता है (जोकि रोगी की जीभ के नीचे  'नाईट्रेस' (एञ्जीसिड) लेने के बाद भी आराम/ठीक नहीं होता।)  इसमें कार्डियक मांसपेशी (Muscle) के रक्त प्रवाह में रुकावट  के कारण से उस हिस्से/भाग की मृत्यु हो जाती है। यह रोग पुरुषों  में 45 वर्ष পনা अधिक तथा महिलाओं में 55 वर्ष अथवा अधिक  आयु में होता है। हृदय पोषक धमनियों की किसी बड़ी शाखा में  एक थक्का (किलॉट Clot, थाम्बेसिस Thrombus) के काार ण अथवा उसकी अन्दर की झिल्ली के नीचे विद्यमान Plague में  रक्तस्राव हो जाने से उत्पन्न Thrombus के कारण पूर्ण रूपेण  अवरोध होकर हृदय मांस को (मुख्यतः वाम क्षेपक के एक भाग  को) रक्त मिलना (यानि ऑक्सीजन का मिलना) सहसा बन्द हो  जाये तो उस भाग के मांस सूत्रों में मृत्यु की प्रक्रिया (Coagula  tion Necrosis) हो जाती है। इस मृदु हुए अथवा मृत भाग को  Infarct कहते हैं। कभी कभी एक शाखा के अन्दर प्लेटलेट्स से  बने ढेर के बड़े हो जाने अथवा उ

सिर दर्द किन किन वजह से होता है

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                             सिरदर्द                         सिर दर्द किन किन वजह से होता है रोग परिचय, कारण व लक्षण यह कोई स्वतन्त्र रोग न हो कर किसी अन्य रोग/कारण का एक  लक्षण मात्र है । मस्तिष्क में वेदना नहीं होती, केवल कपाल के बाहर  मानव में, कपाल के Periostium में आर्टरी में तथा कपाल के भीतर  Venous Sinuses में Dura में, मस्तिष्क गत आर्टरीज  (Arteries) में, पञ्चम नाड़ी, Trigeminal, नवम  Glossopharyngeal एवं दशम् Vagus नाड़ी में 'संज्ञा' की  प्रतीति है। इन्हीं कारण Dura व Menenges में वेदना (Pain)  की प्रतीति होती है। कपालान्तर्गत धमनियों में रक्त के अधिक भर  जाने तथा उनके फैल जाने और उनके प्रबल स्पंदन से अथवा उनमें रक्तभार (ब्लड प्रेशर) के भार के जाने यानि एक्सटर्नल कैरोटिड  आर्टरी की शाखाओं के फैल जाने से तथा कपाल के भीतर दबाव  के बढ़ जाने से प्रायः सिर दर्द हुआ करता है, यथा विषम जवर,  मन्थर ज्वर (इन्फ्लूएञ्जा), मसूरिया आदि में होता है। झुकने से  रक्त भार जनिक सिर दर्द में वृद्धि होती है।  सामान्य: रक्त में जीवाणु हों, कोई विष द्रव्य हो (Spesis) हो तो सिरदर्द हो जाता है।

सर्दी जुकाम का ईलाज क्या है what is coryza in hindi

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                        सर्दी-जुकाम              (Coryza\Common Cold) पर्यायवाची- सर्दी लगना, नजला, प्रतिश्याय, Allergic Rhinitis, Viral Rhi-nasopharyngitis. रोग परिचय, कारण व लक्षण यह रोग अक्सर, 'वायरस' द्वारा होता है तथा लगभग प्रत्येक व्यक्ति  वर्ष भर में 2-3 बार इस रोग से प्रभावित होता है। यह रोग बच्चों  से लेकर बुर्जुगों तक में प्रत्येकलिंग (सैक्स) के व्यक्ति को हो  सकता है, परन्तु बच्चे इससे अधिक प्रभावित रहते हैं (क्योंकि  उनकी 'इम्युनिटी' यानि रोग प्रतिरोधात्मक क्षमता कम होती है। यह  एक संक्रामक रोग है। कारण - • प्रमुख कारण वायरस। • मुख्य रूप से यह मौसम परिवर्तन के समय होता है तथा शीत ऋतु में इसका प्रकोप अधिक रहता है • अधिक समय तक ठण्डे जल में स्नान करना।  • अधिक पसीना युक्त शरीर में ठण्डा जल सेवन करना। • अधिक पसीना से तर-बतर शरीर को अचानक नंगा कर देना। • आनुवांशिक कारण (जिसमें परिवार में ऐसा इतिहास (हिस्ट्री) किसी और भी होता है। • मनोवैज्ञानिकों। • यौवनारम्भ, गर्भकाल तथा रजोनिवृत्ति काल के समय इस रोग की आशंका अधिक। •खाने में बैंगन, अण्डा एवं दूध के पदार्थ आदि। क

what is blood pressure in hindi hypertension

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                हृदय संस्थान के रोग                उच्च रक्त (उच्च रक्तचाप) रोग का परिचय, कारण और लक्षण यह दबाव (प्रेशर) जिससे रक्त धमनियों (कलाकारों) में प्रवाह करता है  है किको ब्लड / रक्तदाव (ब्लड प्रेशर) कहते हैं।  यह प्रत्येक व्यक्ति में, प्रत्येक आयु में अलग अलग होता है और  समय के साथ कम या अधिक (लो या हाई) होता रहता है।  रक्त-विकार, तनाव, भय, परिश्रम, विश्राम (बैठने-लेटने), दर्द,  मानसिक अवस्था, पेट की खराबी (कब्ज, गैस) या अन्य कारणों से कम या अधिक हो सकती है।  विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) (विश्व हैल्थ आर्गेनाइजेशन) के  तदनुसार मानव मन में ब्लड प्रेशर 160/95 mmHg OR  उसके ऊपर / अधिक हो तो उसको हाई ब्लडप्रेशर '(उच्च रक्त) मानना ​​चाहिए।  सामान्य / प्राकृत (नार्मल) ब्लडप्रैशर वयस्क पुरुष 120/90 mmHg और बच्चों में 100/60 mmHg माना जाता है।  स्त्रियों के पुरुष पुरुषों की अपेक्षा 3% ब्लड प्रेशर कम होता है।  ब्लड प्रेशर को प्रभावित करने वाले मुख्य कारक नीचे लिखे गए हैं - • धमनियों की लचक। • कार्डियक आइटम। • रक्त की मात्रा और गाधापन। स्वस्थ व्यक्ति में - प्रकुञ्चनीय रक्त गति (सिस्ट

पेट में दर्द क्यों होता है

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(आन्त्रशूल/उदरशूल-पेट में दर्द)  (Intestinal Colic, Colic Pain) पर्यायवाची- आमाशमिक शूल (एब्डोमिनल पेन Abdominal Pain) गैस्ट्राल्जिमा  (Gastralgia) तीव्र उदरशूल, मरोड़, कोलिक, पेटदर्द, एंटरैल्जिया (Enteralgia)।  रोग परिचय, कारण व लक्षण छोटी आंत में रूकावट अथवा किसी अन्य कारण से होने वाले पेट दर्द  में आन्त्र शूल" (इंटेस्टाइनल क्लिक) कहा जाता है । इससे आंतों में  किसी प्रकार का यान्त्रिक परिवर्तन नहीं होता है। विभिन्न अंतरंगों  (विसरा) में तीव्र तथा उद्वेष्टक (स्पासमोडिक-Spasmodic) पीड़ा  को शूल (Colin- कोलिक) कहा जाता हैं इसमें पीड़ित रोगी के पेट के  भीतर सुई गढ़ाने जैसा दर्द होता है, जो अत्यन्त ही भयानक होता है।  इस कष्ट के कारण रोगी अत्यन्त व्याकुल हो जाता है और श्वास तक  नहीं ले पाता है। अस्तु रोगी कष्ट कष्ट से छटपटाता है। इस दर्द की  प्रकृति-ऐंठन, खोंचा मारना, मरोड़ अथवा अकड़न की तरह होती है।  रोगी को पहले नाभि के चारों ओर अथवा पेट के दोनों बगलों से दर्द  आरम्भ होकर तदुपरान्त क्रमश: पेट में चारों ओर फैल जाता है। दर्द  की धमक के कारण रोगी अत्यधिक बेचैन हो उठता हैं यह दर्द रह-रह